दशहरा पर निबंध | Dussehra Essay In Hindi

भारत एक ऐसा देश है जहां पर हर साल अनेक तयोहार बड़ी ही धूम धाम से मनाये जाते है। भारत में मनाए जाने वाले त्योहारो मे मुख्य रूप से होली, रक्शबंधन, दशहरा, दीपावली जैसे त्योहार शामिल है। दशहरा में पवन अवसर पर आज के इस लेख के द्वारा हम आपके लिए दशहरा पर निबंध लेकर पर प्रस्तुत हुए है क्योंकि अक्सर दशहरा के अवसर पर विद्यालय और महा विद्यालय के विद्यार्थियो को दशहरा पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। यदि आप भी Dussehra Essay in Hindi की तलाश करते हुए इस लेख में आए हो तो आज का यह लेख आपके लिए फायदेमंद साबित होने वाला है।

विजयदशमी के पावन अवसर पर मनाए जाने वाले दशहरा त्योहार के बारे में आपको यदि निबंध की तलाश है तो इस लेख में आपको हम आपके लिए 3 बेहतरीन Dussehra Essay in Hindi लिखें हुए है जिनका इस्तेमाल आप निबंध लेखन के कर सकते हो। इस लेख में प्रस्तुत निबंध के द्वारा आपको दशहरा से जुड़ी कई सारी बातें जानने को मिलेंगी जैसे की दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है? दशहरा त्योहार कैसे मनाया जाता है? दशहरा त्योहार से हमें क्या शिक्षा मिलती है। आइए फिर बिना समय गंवाए इस लेख के साथ साथ Essay on Dussehra in Hindi की शुरुआत करते है।

दशहरा कब और क्यो मनाया जाता है? 

दशहरा सभी हिंदुओ का महत्वपूर्ण त्योहार है जिसके बारे मे कौन नही जनता। दशहरे को  विजयदशमी  के नाम से भी जाना जाता है। अधिकतर लोगो को यह जानकारी जरूर होगी की दशहरा  साल  2022 मे कब मनाया जायेगा ? लेकिन जिन लोगो को यह जानकारी नही है की 

दशहरा कब मनाया जायेगा उनको हम बताना चाहेंगे की साल 2022 मे दशहरा का त्योहार 05 ऑक्टोबर को संपूर्ण भारतबर्ष मे पूरी श्रधा और प्रशांता के साथ मनाया जायेगा।

आगे हम ने बताया है कि दशहरा का त्योहार क्यो मनाया जाता है? लगभग हर व्यक्ति को यह जरूर मालूम होगा की यह त्योहार क्यो मनाया जाता है। लेकिन जो भी लोग इस बात से अभी तक अंजान है उनको हम इस लेख के माधयम से  अबगत के कराना चाहते है कि इस दिन भगवान श्री राम लंकापति रावन का वध करके तथा 14 बर्ष का वनवास काट कर आयोध्या बापिस लौटे थे।  अतः भगवान श्री राम के आयोध्या लोटने की खुशी मे तथा अच्छाई की बुरियी पर जीत का प्रतिक मानते हुए दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। 

दशहरा पर निबंध | Essay on Dussehra In Hindi [1]

भारत देश त्योहारों का देश है। जहाँ पर हर वर्ष अनेक त्योहार  बड़े ही धूम धाम से मनाये जाते हैं। वैसे ही एक त्यौहार दशहरा भी भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दशहरा एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह अशविन मास की शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री रामचन्द्रजी ने श्रीलंका के राजा रावण को मारकर तथा 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे। जब रावण ने सीता माता का अपहरण करके अपने लंका में में रखा था तब भगवान श्रीराम ने हनुमान और सुग्रीव आदि मित्रों की सहायता श्रीलंका पर हमला किया । श्रीराम जी ने अपने मित्रों की सहायता से लंका पर विजय प्राप्त कर ली। तभी से यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाने लगा। 

मंगल कार्यों का आरंभ करने के लिए दशहरे का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों तथा दुकानों के दरवाजे को तोरणों से सजाते हैं। इस दिन किसान भाइयों का जीवन  खुशियों तथा नई उमंग की किरणों से भर जाता है। रबी फसल को बोने की तैयारी भी दशहरे के बाद ही की जाती है। पूरे भारत देश में दशहरे से 9 दिन पूर्व रामलीला का आयोजन किया जाता है।

पूरे भारत देश में हिमाचल के कुल्लू जिले का दशहरा बहुत ही प्रसिद्ध है। दशहरा रामलीला के आखिरी दिन में मनाया जाता है। दशहरा  मनाने के अपने अपने भिन्न भिन्न तरीके होते हैं। बड़े बड़े नगरों में रामायण की झांकियां निकाली जाती है।  इस दिन रावण कुंभकरण तथा मेघनाथ के पुतले जलाये जाते हैं।

दूसरे शब्दों में, यह त्योहार बुराई की शक्ति पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं पर नजर डालें, तो कहा जाता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर दिया था। अन्य परंपराओं का यह भी मानना है कि भगवान राम ने दशहरा के दिन ही असुरों के महान राजा रावण से युद्ध किया था और उसे पराजित कर ये सिद्ध किया था कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।

इससे हमें यह पता चलता है कि दोनों घटनाओं का परिणाम समान है, बुराई पर सच्चाई की जीत निश्चित है। जिसका परिणाम अंधकार पर प्रकाश, झूठ पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है।

पूरे भारत में दशहरा के पर्व को बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भारत में विभिन्न संस्कृतियां होने के बावजूद, यह किसी भी तरह से इस त्योहार के उत्साह को प्रभावित नहीं करती है। दशहरा/विजयदशमी के पूरे त्योहार में सभी का उत्साह और जोश एक समान रहता है।

विजयदशमी के पावन अवसर पर, पश्चिम बंगाल के निवासी बिजॉय दशमी मनाते हैं जो दुर्गा पूजा के दसवें दिन का प्रतीक है। इस दिन, देवी की मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने के लिए जुलूस के साथ ले जाया जाता है और उसका विसर्जन किया जाता है। विवाहित महिलाएं भी एक-दूसरे के चेहरे पर सिंदूर लगाती हैं, जबकि अन्य स्त्रियां बधाई का आदान-प्रदान करती हैं और एक दूसरे को दावत देती हैं। कुछ जगहों पर इसी दिन शस्त्र पूजा करने की भी परंपरा है।

दशहरा को दुर्गोत्सव के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि लोगों का ऐसा मानना है कि युद्ध के दसवें दिन माता दुर्गा ने भी महिषासुर नामक दुष्ट असुर का वध किया था। विजयादशमी का पर्व लोगों के मन में नई ऊर्जा, बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख, लोगों के मन में नई चाह और सकारात्मक ऊर्जा भी लेकर आता है। भगवान श्री राम ने रावण का अंत कर बुराई पर विजय प्राप्त की और माँ दुर्गा ने महिषासुर को मारकर बुराई का अंत किया। 9 दिन देवी माँ के पूजा अर्चना के बाद यह विजयादशमी आती है। इस दिन सबके घरों में पकवान आदि बनाए जाते है

दशहरा पर निबंध | Essay on Dussehra In Hindi [2]

1) दशहरा का अर्थ  

हिंदी भाषा के शबद दस और हारा से मिलकर बना है। दस शबद का अर्थ है गणित का दस (10) और हारा का अर्थ है प्राजीत! इसलिए यदि इन दो शब्दों को जोड़ दिया जाए तो ‘दशहरा’ बनता है, जो उस दिन का प्रतीक है जब दस सिर वाले दुष्ट रावण का भगवान राम ने वध किया था।

बुराइ पर अच्छाई की जीत – भारत के कुछ स्थानों पर दशहरा को विजया दशमी के रूप में भी मनाया जाता है। जिंस दिन भगवान राम ने श्रीलंका के राजा के रावण को मारा था उस दिन को बुराइ पर अच्छाई की जीत ही तरह मनाया जाता है। 

इस त्यौहार को आयोजित करने का एक मुख्य मकसद यह भी है कि इस से बुराइ पर अच्छाई की जीत का संकेत मिलता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मानें तो इसी दिन माता दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। अन्य परम्पराओं का यह भी मानना है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण को पराजित करके उसे मारा तथा उन्होंने बुराइ पर अच्छाई की प्रबल छाप छोड़ी। इससे हमें पता चलता है की बुराइ पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है।

2) दशहरा समारोह 

संपूर्ण भारतवर्ष में दशहरा के समारोह को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में अनेकों संस्कृतियां होने के बावजूद भी यह त्यौहार को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करता। दशहरे में पूरे भारत के लोगों का उत्साह था जोश एक समान सा रहता है। इस त्यौहार को बड़े हर्षोल्लास द्वारा बनाया जाता है।

दशहरे के अवसर पर पश्चिम बंगाल के लोग विजय दशमी मनाते हैं। जो दुर्गा माता के दसवें दिन का प्रतीक है जो दुर्गा माता के दसवें दिन का प्रतीक है। इस दिन सभी लोग एकत्रित होकर जुलूस में माता की मूर्तियों को नदी में विसर्जित करते हैं। विवाहित महिलाएं एक दूसरे के चेहरों पर लाल सिन्दूर लगाती है। अन्य महिलाएं एक दूसरे के साथ अपने हर्ष का आदान प्रदान करती है  तथा एक दूसरे को दावत पर बुलातीं है। भारत के कुछ जगहों पर इस दिन शस्त्र की पूजा भी की जाती है।

3) रामलीला का आयोजन 

दशहरा पूरे देश में राक्षसों के राजा रावण के अंत के रूप में मनाया जाता है। लोग दशहरे को राम तथा रावण के बीच हुए युद्ध को नाटक के रूप में प्रस्तुत करते हैं। इस नाटकीय रूप को रामलीला के नाम से जाना जाता है। उत्तरी भारत में इसे मुखौटे पहनकर था नृत्य के साथ मनाया जाता  है। दशहरा दीवाली से 20 दिन पूर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

4) रावण दहन 

जैसा कि रामायण में लिखा गया है की रावण,  मेघनाथ तथा कुम्भकर्ण बहुत ही बड़े बड़े राक्षस थे। इसी कथन के अनुसार लोग रावण,  मेघनाथ तथा कुंभकर्ण के बड़े बड़े आकार के  पुतले बनाते हैं। इन पुतलों को जलाने के लिए इनके बीच में बड़े बड़े पटाखे लगाये जाते हैं तथा आतिशबाजियाँ छोड़ी जाती है। इस दौरान एक व्यक्ति श्री राम का किरदार निभाता है तथा आग लगे हुए तीर को उन बोतलों की तरह धनुष की सहायता से छोड़ता है। लोग आमतौर पर  श्री राम का किरदार निभाने के लिए तथा तीर को छोड़कर पुतलों को जलाने के लिए  किसी मुख्य अतिथि को आमंत्रित करते हैं। ये सब आयोजन जनता के सामने खुले मैदानों में सुरक्षा का मद्दे नजर रखते हुए किया जाता है।

हर उम्र के लोग इस मेले का लुत्फ उठाने के लिए यहाँ पर इकट्ठे होते हैं। बच्चे पूरा सालइस दिल का लुत्फ उठाने के लिये इंतजार करते हैं। बच्चे  इन सब आश्चर्यजनक दृश्यों का आनंद उठाते हैं। रावण दहन का यह कार्यक्रम पूरे देश के लोगों को एक साथ एकत्रित करता है। दशहरा हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है। क्योंकि इसके दर्शक न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें दशहरे से यह सीख मिलती है कि बुराइ पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है तथा प्रकाश हमेशा अंधेरे  पर हम भी हो जाता है।

5) अपने अंदर के रावण को मारे

दशहरे के माध्यम से हम यह तो बता देते है की हमेशा बुराइ पर अच्छा ही की जीत होती है लेकिन हम अपने अंदर के रावण को नहीं मार पाते। अर्थात हम अपने अंदर की बुराइ को खत्म करने के बारे में नहीं सोचते।  दशहरा, विजयदशमी एक शुभ तथा ऐतिहासिक पर्व है। इस पर्व को हमें अपने अंदर के रावण को मारकर बड़े ही हर्षोल्लास से मनाना चाहिए।

जिसे रावण पर भगवान श्रीराम ने विजय प्राप्त की थी वह केवल एक अकेला राक्षस था और बता सतयुग का समय था लेकिन आज के कलयुग में प्रत्येक आदमी के अंदर रावण का बॉस है। इतने सारे रावणों का विनाश करना या उन पर विजय प्राप्त करना असंभव है लेकिन जिसतरह से एक दीपक की रौशनी ही पर्याप्त है अंधकार का नाश करने के लिए उसी तरह एक अच्छी विचारधारा ही अपने अंदर के रावण का नाश कर सकती है।

दशहरा पर निबंध FAQs

Q. 1) दशहरा कब मनाया मनाया जाता है? 

Ans :- दशहरा कार्तिक मास कि अमवश्य को दिवाली से 20 दिन पहले मनाया जाता है। 

Q. 2) दशहरा क्यो मनाया जाता है? 

Ans :- इस दिन भगवान श्री राम लंकापति रावन का वध करके तथा 14 बर्ष का वनवास काट कर आयोध्या बापिस लौटे थे इसी लिए  दशहरा मनाया जाता है। 

Q. 3) दशहरा केसे मनाया जाता है? 

Ans :- दशहरा के दिन लोग अपने अपने घरों मे माता के अलग अलग रूपों की पूजा  करें है। घरों मे अलग अलग पक्वाँन मनाये जाते है तथा रावन के पुतले जलाये जाते है। 

Q. 4) दशहरा का  अर्थ क्या है? 

Ans :- दशहरा का अर्थ – हिंदी भाषा के शबद दस और हारा से मिलकर बना है। दस शबद का अर्थ है गणित का दस (10) और हारा का अर्थ है प्राजीत! इसलिए यदि इन दो शब्दों को जोड़ दिया जाए तो ‘दशहरा’ बनता है, जो उस दिन का प्रतीक है जब दस सिर वाले दुष्ट रावण का भगवान राम ने वध किया था।

दशहरा पर निबंध – सारांश

दशहरा पर निबंध की तलाश करते हुए अगर आप इस आर्टिकल पर आये होंगे तो आपको इस लेख के द्वारा Essay on Dussehra On Hindi के बारे मे संपूर्ण जानकारी मिल गयी होगी। हमने इस Blog Post के द्वारा तीन सुंदर से दशहरा पर निबंध हिंदी मे आपके लिए लिखे हुए है। जिनका उपयोग आप निबंध लेखन के लिए तथा दशहरा के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए कर सकते है। इसी के साथ आज के इस लेख में बस इतना ही और हम आशा करते है की आपको यह लेख पसन्द आया होगा। अगर आपको यह पसन्द आया हो तो इसे Share जरूर कर दे ।

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